Wednesday, October 28, 2020

सफेद दाढ़ी

किसी ने मुझसे कहा- तुम्हारी दाढ़ी काफी बड़ी और सफेद हो गई है, तुम इसका फायदा क्यों नहीं उठाते? मैंने उसको हैरत भरी नजरों से देखा....! उसने परवाह ही नहीं की और कहा-पैसा कमाओ इस से, मुझे मत देखो। मैंने हैरत से पूछा- दाड़ी से पैसा किस प्रकार कमाया जा सकता है। दाढ़ी मेरे चेहरे का नूर है, किसी मशीन का पार्ट या हाथ का हुनर नहीं है। जो रोज़ी-रोटी कमाने में सहायक हो। उसने कहा तुम बेवकूफ हो एक अच्छी मासूम सी भोली भाली सूरत लेकर भूखे मर रहे हो, जबकि दाढ़ी बढ़ा कर लोग करोड़ों कमा रहे हैं। तुम्हारी जैसी खूबसूरत दाढ़ी तो क़िस्मत से मिलती है। फायदा उठाओ,इस से जो बहुत आसान है। मैंने उससे कहा- कुछ बताओगे भी या यूं ही ऊल जलूल बातें करते रहोगे। उसने मेरी ना समझी पर तरस खाते हुए कहा- यह दौर सोशल मीडिया का है और मैं देख रहा हूं कि जिन लोगों को दीन (धर्म)के बारे में कुछ भी नहीं मालूम वह भी अपनी बढ़ी हुई दाढ़ियों और कैमरों के सहारे दीन के लिए मॉडलिंग करके मोटी रकमें कमा रहे हैं। किसी माहिर एक्टर की तरह एक्टिंग करते हैं और अपनी रटी रटाई तक़रीर कंप्यूटर से पढ़ कर लोगों को उनकी जिंदगी मैं दीन की अहमियत,शिक्षाएं और इस्लामी क़िस्से, कहानियां सुनाते नज़र आते हैं। उनकी जुबान मैं अरबी,फार्सी के अल्फाज कम इंग्लिश के ज्यादा होते हैं, ताकि लोग उनकी गुफ्तगू पर तव्वजह दें और उनकी दाढ़ी और इंग्लिश के रोब को महसूस करते हुए ज्यादा से ज्यादा लाइक कर सकें।
मैंने सोशल मीडिया पर बहुत से उल्मा को दीन की बातें करते हुए और लोगों को बगैर इंग्लिश अल्फाज के भी गुफ्तगू करते हुए देखा व सुना है। उसने कहा हां देखा होगा सोशल मीडिया पर दीन सिखाने वालों में बहुत से ऐसे भी हैं जो यह कह कर दीन सिखाते नज़र आते हैं कि वह नए-नए मुसलमान बने हैं, उन्हें दीन के बारे में ज्यादा इल्म तो नहीं है। वह मुसलमान बनने से पहले एक मशहूर गायक,खिलाड़ी,डॉक्टर,
लोहार,बढ़ाई,साइंटिस्ट या कोई बड़ेबिजनेसमैन थे। मुसलमान बनने के बाद खुदा ने उनको अचानक ग़ैबी या रूहानी ताकतों से नवाज़ दिया, इस प्रकार वह लोगों को गुमराही से निकालने का काम करते हैं या खुद को उस गुमरही मैं तलाश करके दीन की तबलीग़ करते हैं। मैंने कहा, यहां तक तो ठीक है पर दाढ़ी के जरिए पैसा किस तरह कमाया जा सकता है। उसने कहा- दीन की तबलीग़ से तालुक़ रखने वाले दो तीन वीडियो देख लो तुम्हारी खुद समझ में आ जाएगा। अपने दोस्त की बात मानते हुए मैंने एक वीडियो देखना शुरू किया यह मौलाना मुझे कुछ जाने पहचाने से लगे इसलिए मैंने इनका पूरा वीडियो देखने का फैसला किया। वीडियो जैसे ही शुरू हुआ, तो सब से पहले उस में किसी फास्ट फूड का (ऐड)इश्तेहार नज़र आया जिसको एक महिला उसकी बच्ची इस टेगलाइन के साथ पेश करते नज़र आ रही थी ।
"यही आज की पसंद है, यही जिंदगी का आनंद"। ऐड पूरा होने के साथ ही मौलाना ने अपनी गुफ्तगू का आगाज़ यह फरमाते हुए किया कि हमने इस्लामी रिवायात को छोड़ दिया है। हम फास्ट फूड की तरफ तेजी से बढ़ रहे हैं। हम जहां मौका देखते हैं वहां खड़े हो कर इस तैयार खाने को खा लेते हैं।दस्तरख्वान कितने घरों में सजाया जाता है? या हम किन इसलामी सुन्नतों के एहतमाम या एहतराम के साथ खाना खाते हैं? यह सब अब सवाल बनकर रह गए हैं। यह हमारी मा'शरत की तबाही है। अभी वह इस तबाही के दायरे को बढ़ा कर क़ौम को समझाने जा ही रहे थे कि इस्लाम ने जब शराब बंदी कि तब मुसलमानों ने अपने घरों में जमा की गई शराब नालियों में बहा दी थी,क्योंकि अल्लाह के प्यारे रसूल ने फरमाया था की शराब तमाम बुराइयों की जड़ है जो अब तुम पर हराम कर दी गई है। इसका पीना जमा करना या तिजारत करना सब हराम है, तभी एक तिजारती (कमर्शियल) ब्रेक आ गया जिसमें शराब की ऐड दिखाई जा रही थी। इसके बाद फिर मौलाना नज़र आए अब वह पहले से ज्यादा जलाल में थे और समाज में आई तमाम बुराइयों के लिए सीधे तौर पर पूरी क़ौम को कटघरे में खड़ा करके गलया रहे थे।वह पूरी कौम से पूछ रहे थे या यूं कहा जाए कि वह ऐतराज़ कर रहे थे कि समाज के द्वारा अपनाई जा रही आधुनिक जीवन शैली, कुछ नए-नए अपनाए गए रीति-रिवाज,फैशन किस तरह दीनेहक़ का हिस्सा बन गए हैं। वह जवाब तलब कर रहे थे कि यह क्या तरीका है कि हमारे नौजवानों ने अपने पजामे उतार दिए हैं और फटी हुई हाफ पेंट पहनना शुरू कर दी है। तभी उनकी तक़रीर को रोककर सोशल मीडिया द्वारा बाजार को कंट्रोल करने वाले माहिर खिलाड़ियों ने एक बड़े ब्रांड के रेडीमेड गारमेंट्स का ऐड लगा दिया जिसमें कुछ नौजवान लड़के, लड़कियां फटी हुई हाफ पेंट पहनकर मॉडलिंग करते नज़र आए। मैंने मौलाना के ब्यान को यहीं पर रोकते हुए अपने दोस्त से पूछा इसमें पैसा कहां है? यहां तो सिर्फ मज़ाक़ ही मज़ाक है।उसने कहा यह जो ऐड आप देख रहे हैं, यह हजारों और लाखों रुपए की पेमेंट मौलाना को अदा करते हैं। मैंने अपने दोस्त से पूछा इस्लाम में फोटो खिंचवाना हराम है यह बात मुझे याद है, परंतु मौलाना को याद नहीं है। उसने हंसते हुए कहा तो फिर ठीक है,तुम पीएम की तरह दाढ़ी बढ़ाओ और दाढ़ी-दाढ़ी खेल खेलते रहो और एक दूसरे से पूछते रहो कि तुम्हारी दाढ़ी मेरी दाढ़ी से ज्यादा 
सफेद कैसे?
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शाहिद हसन शाहिद
70093-16992
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Tuesday, October 20, 2020

बलात्कार

यह एक सच्चाई है कि मैं समाचार पत्र नहीं पड़ता हूं, परंतु मेरे अंदर का आदमी समाचार पत्र पढ़ने का बड़ा शौकीन है। वह रोज सुबह उठकर सोसाइटी की लाइब्रेरी पहुंच जाता है, जहां वह एक दो नहीं बल्कि नगर से प्रकाशित होने वाले हर छोटे-बड़े समाचार पत्र को बड़ी दिलचस्पी के साथ पढ़ता है। इस दिलचस्पी में भी एक खास बात यह है कि समाचार पत्र में प्रकाशित हर प्रकार की खबरें छोड़कर वह क्राइम रिपोर्ट पढ़ने में काफी रूचि दिखाता है।इन क्राइम रिपोर्ट में भी वह खासतौर पर बलात्कार से संबंधित और इनमें भी कम आयु की लड़की के साथ हुई घटना को पढ़ने में काफी रूचि दिखाता है। 
अपने अंदर के इस आदमी को मैं भली भांति पहचानता हूं, वह बड़ा बहानेबाज़ व आवारा सिफत व्यक्ति है। जिस प्रकार की छवि वह समाज को दिखाता है वैसा वह बिल्कुल नहीं है। मुझे उसकी यह आवारगी बहुत बुरी लगती है। जिसके लिए में उसको बराबर टोकता रहता हूं। मैं उसको समझाता हूं कि उसको अपनी यह बुरी आदत छोड़ देना चाहिए। एक दिन मैंने उससे कहा तुम ऐसी खबरें क्यों पढ़ते हो जो ज़हनी अयाशी पैदा करती हैं। इतना सुनकर वह भड़क गया और गुस्से में चिखते हुए कहने लगा- क्षमा कीजिए, यह सोच आपकी है जो मेरे अंदर आवारगी देखती है, मेरी नहीं है । सही सोच क्या है यह बताने का भी कष्ठ करें, मैंने उसको चिढ़ाते हुए पुनः प्रश्न किया। एक ही बलात्कार का समाचार जिस की घटना, स्थान ,तिथि, चरित्र और चरित्रों का नाम एवं आयु एक ही होती है उसी समाचार को अलग-अलग समाचार पत्रों में पढ़कर आप कौन सा शोध कार्य करते हैं ?
मेरा ऐतराज़ सुनते ही उसने तुरंत उत्तर देते हुए कहा- रिपोर्टिंग......! रिपोर्टिंग शब्द सुनकर मुझे एक प्रकार से झटका लगा और मैं अचंभित होते हुए बोला- मैं समझा नहीं, रिपोर्टिंग से तुम्हारा क्या मतलब है ? मेरे अचरज को देखते हुए वह शांति रहा और मीठे स्वर से बोला, मैं बताता हूं, कहते हुए वह मुझे समझाने वाले अंदाज में बताने लगा देखिए, आपका यह कहना ठीक है कि समाचार एक ही होता है घटना की शिकार लड़की, उसकी आयु, स्थान, क्या हुआ, कैसे हुआ अंततः हादसे की तारीख भी वही होती है,परंतु इस समाचार को लिखने वाले पत्रकार समाज के अलग-अलग वर्गो से आते हैं जिनकी कलम ही तय करती है कि खबर आम है, खास है, या बहुत खास है। उसने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए विस्तार से बताना आरंभ क्या। हम इस सत्य को इस प्रकार समझ सकते हैं कि एक पत्रकार किसी मासूम लड़की के साथ हुए इस शर्मनाक हादसे का समाचार को केवल एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना, जो उसकी सोच के अनुसार रोज कहीं ना कहीं होती है बड़े सामान और सहज रूप से प्रस्तुत कर देता है। वह अपनी टिप्पणी में इस हादसे को उस लड़की या उसके परिवार की खराब किस्मत का दोष देकर अपना कर्तव्य पूरा करता है। जबकि दूसरा पत्रकार इसी घटना को कानून की बिगड़ी व्यवस्था या प्रशासन की ढ़ील बता कर सरकार के सर इलज़ाम डाल कर समाचार की जरूरतों को पूरा कर देता है। कोई तीसरा पत्रकार इस घटना को समाज के गिरते हुए स्तर की दुहाई देते हुए इंसान के वेहशीपन या पश्चिमी सभ्यता को दोषी बताकर समाचार पूरा कर देता है। कोई चौथा पत्रकार इस घटना को आंखों देखा हाल बताते हुए एक मसालेदार  पोर्न फिल्म की तरह पेश करके अपने पाठकों का मनोरंजन करता है जबकि इस भीड़ मैं से निकलकर कोई एक पत्रकार ऐसा भी होता है, जो इस घटना की पीड़ित लड़की की मानसिक, शारीरिक, सामाजिक व स्वाभिमान की पीड़ा को अपनी अंतरात्मा की गहराइयों से महसूस करते हुए समाचार इस प्रकार लिखता है जैसे वह पत्रकार ना होकर स्वयं एक पीड़ित लड़की हो और जो अपने ऊपर हुए इस जुल्म को सहन करते हुए सारा ज़हर खुद ही पी जाना चाहती हो बिल्कुल वैसे ही जैसे एक सच्चा गायक किसी दर्द भरे गाने को अपने गले या पेट से ना गाकर दिल की गहराइयों से गाता है और हमारे मन मस्तिष्क पर अपनी छाप हमेशा हमेशा के लिए छोड़ जाता है।
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शाहिद हसन शाहिद
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Saturday, October 10, 2020

कूड़ेदान

मैंने अपनी आंतों को पेट के अंदर इतना सिकरोड़ा कि वहां एक गड्ढा सा बन गया। फिर मैंने अपने पैरों को इस गड्ढे में फिट किया और पंजों के बल बैठ गया। इस प्रकार पंजों के बल उकड़ू बैठकर भूख पर विजय प्राप्त करना एक ऐसी प्राचीन कला है, जो पूरे विश्व के गरीबों में प्रचलित है।भूखे पेट की सहायता से मैंने इस कला पर बचपन में ही विजय प्राप्त कर ली थी। मेरा अनुभव कहता है कि इस प्रकार बैठने के बाद इंसान की सोई हुई ऐसी बहुत सी अंतरात्माएं जाग जाती हैं, जो फूले हुए पेट के साथ कभी नहीं जागतीं। आनंद देने वाले इस योग मुद्रा में बैठने के बाद मेरी अंतरात्मा ने देखा- मेरे चारों ओर खाने के बर्तन बिखरे पड़े हैं। जिनमें कुछ टूटे-फूटे हैं और कुछ ठीक-ठाक हैं। जो ठीक-ठाक हैं उन में अन्न का दाना नहीं है। वे खाली हैं मेरे पेट की तरह। 
मैं हैरानो-परेशान अभी इन बर्तनों को देख ही रहा था तभी मेरी नज़र उस कूड़ेदान की ओर चली गई,जहां कुछ दिन पहले तक शहर के सभ्य व सम्मानित लोग अपने मरे हुए कुत्ते, बिल्ली,घर का बेकार सामान और कन्या भ्रूण फेंक जाते थे,यह मेरे हुए शरीर सढ़ कर इतनी गंध पैदा करते थे कि आसपास के निवासियों का जीवन नर्कमय हो चुका था।
इस गंध ने मेरी नाक के नथुनों में जाकर मुझे कभी दुखी नहीं किया,कारण यह था कि इस गंध से कहीं अधिक गंध मेरी उस पेंट और शर्ट से आती थी,जो मैंने जवान होते ही इसी कूड़ेदान से उठाकर 60 वर्ष पहले पहन ली थी, और दूसरा कारण था कि मैं ना तो समाज का प्रतिष्ठित व्यक्ति हूं और ना ही सभ्य समाज का अंग जिसको गंध या सुगंध का अंतर मालूम हो।
कूड़ेदान को देखकर मेरे मन में एक पुरानी कहावत याद आने लगी कि 20 साल बाद कूड़ेदान के भी भाग्य बदल जाते हैं, यह कहावत अब मुझे सत्य होती प्रतीत हो रही थी। सामने वाले कूड़ेदान का भाग्य निसंदेह अब बदल चुका है। वह पहले से कहीं ज्यादा उदार एवं प्रगतिशील नजर आने लगा है। नगर के सम्मानित लोग अब इस कूड़ेदान पर अपने मरे हुए चूहे बिल्ली नहीं फेंकते, जो सड़कर उनका जीवन को नर्क बनाते थे, बल्कि वे अब कूड़ेदान को साफ-सुथरा एवं स्वच्छत रखते हुए करोना महामारी की संभावना से ग्रस्त अपने जीवित बुज़ुर्ग,बीमार माता-पिता व रिश्तेदारों को फेंक जाते हैं। जिनको कुछ समय बाद कारपोरेशन की गाड़ीयां कूड़े करकट की तरह उठाकर ले जाती हैं । गाड़ीयां जब इन जीवित रिश्तों को उठाकर ले जाती है तो यह रिश्तेदार उनको दूर खड़े होकर हाथ जोड़कर पूरे धार्मिक रीति रिवाज के साथ रुखसत होते हुए अपने घरों की बाल्कोनियों से देखते रहते हैं। इन में से कुछ लोग थाली या ताली बजाकर करोना योद्धाओं के प्रति अपना स्नेह एवं आदर सम्मान भी प्रकट करते हैं।
मेरी समस्या यह नहीं है के रिश्तेदारों ने अपने जीवित परिवारजन को कूड़ेदान पर फेंक दिया। समस्या यह भी नहीं है कि उन्होंने थाली और ताली क्यों बजाई? मेरी समस्या केवल इतनी है कि जो बदबूदार पैंट-कमीज मैंने 60 वर्ष पहले कूड़ेदान से उठाकर पहनी थी उसको उतारने के लिए कब, कौन और कहां से आएगा?
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शाहिद हसन शाहिद
70093-16991
I wrinkled my intestines so much inside the stomach that it became a hole there. Then I fitted my feet in this pit and sat on the feet. In this way, conquering hunger by sitting squatting is such an ancient art, which is prevalent among the poor all over the world. With the help of a hungry stomach, I conquered this art in my childhood. My experience says that after sitting in this way, many such sleeping souls wake up, which never wake up with bloated stomach. After sitting in this yoga post that gave pleasure, my conscience noticed - the food utensils are scattered all around me. Some of them are broken and some are fine. Those who are well-off do not have food grains. They are empty like my stomach.
 I was surprised to see these utensils right now, when my eyes went to the dustbin, where till a few days ago the civilized and respected people of the city used to throw their dead dogs, cats, household waste and female embryos , This used to make my body smell so bad that the lives of the nearby residents had become hellish.
 This smell never made me sad by going into the nostrils of my nose, the reason was that more than this smell came from my paint and shirt, which I had worn 60 years before when I was young, from this dustbin. And the second reason was that I am neither an eminent person of society nor a part of a civilized society who knows the difference of smell or fragrance.
 Seeing the dustbin, I started remembering an old saying that after 20 years, the fate of dustbin also changes, I now seemed to be true. The fate of the front dustbin has undoubtedly changed now. He is beginning to appear more liberal and progressive than ever before. The respected people of the city no longer throw their dead rat cats on this dustbin, which made their lives hell by rotting, but they now keep their dustbins clean and hygienic, with their surviving elderly, sick mother, prone to the Karona epidemic. Father and relatives are thrown away. After some time, the Corporation's cars are taken away like garbage. When the vehicles carry these living relations, these relatives stand away from them and fold their hands and watch them from the balconies of their homes, moving with full religious rituals. Some of these people also express their affection and respect for Karona warriors by playing thali or tali.
 My problem is not that relatives throw their surviving family on the trash. The problem is not also why they played the thali and clap? My only problem is that when, who and where will I come to remove the smelly pant-shirt that I wore from the dustbin 60 years ago?

Thursday, October 1, 2020

ड्रामेबाज़

आयु की ढलान पर खड़े उस व्यक्ति के बारे में विश्वास के साथ नहीं कहा जा सकता था कि वह वास्तव में पागल है या भविष्य के भावी खतरों से डरा हुआ एक आम व्यक्ति है। वेशभूषा देखकर भी उसको पागल नहीं कहा जा सकता था, जबकि बातें वह पागलों जैसे ही कर रहा था। सड़क किनारे खड़े होकर वह चीख-चीख कर कह रहा था- लोगों सुनों, मेरे बालों में जुंए रहती हैं। फिर कहता-नहीं वे जुंए नहीं हैं,घुसपैठिए हैं, फिर तुरंत ही कहता- घुसपैठिए भी नहीं हैं, वे आतंकी हैं। आतंकवाद से हम सबको लड़ना होगा। इतना कहकर वह नारे लगाने लगा,आतंकवाद जिंदाबाद,
आतंकवाद मुर्दाबाद। फिर कुछ रुक कर कहने लगा,आतंकवाद का मुझे सर तोड़ना है। यह कहते हुए उसने अपने सर के बाल नोचने आरंभ कर दिए। फिर लोगों को अपने हाथों की उंगलियों में फंसे दो चार बाल दिखा कर कहने लगा- देखो-देखो....! घुसपैठियों ने मेरे बाल तोड़ दिए। वे जालिम हैं। फिर टूटे बालों का दुःख मनाते हुए जोर-जोर से चीख-चीख कर रोते हुए कहने लगा- एक-एक करके मेरे बाल तोड़े जा रहे हैं। फिर एक ही पल में खुश होकर कहने लगा- हा हा हा...! मैं जल्द ही गंजा हो जाऊंगा, तब बड़ा मज़ा आएगा, अपने सर पर तबला बजाऊंगा, फिर लोगों की भीड़ से पूछने लगा- तुम मज़ा देखोगे, तबला सुनोगे ? अपनी हर बात को तीन बार कहना उसकी आदत थी। 3 बार कह कर वह समझ लेता था कि लोगों ने कह दिया है कि हम देख रहे हैं या हम देखेंगे या हम मज़ा लेंगे।
इस प्रकार की जुमले बाजी वह बहुत समय से कर रहा था। उसके चारों तरफ खड़े लोग मजा ले रहे थे। लोगों को उसके जुमले बहुत पसंद थे। कुछ न्यूज़ चैनल भी उस पर फिदा थे, वह अपनी टीआरपी बढ़ाने के लिए उसको कवर करते रहते थे। एक कैमरे की ओर मुंह करके पागल चीखते हुए बोला- घुसपैठियों....! सुन लो, तुम्हारी साजिशें सफल नहीं होने दूंगा। सर के सारे बाल नोच दूंगा पर तुमको अपने सर पर राज नहीं करने दूंगा। एक-एक घुसपैठिए को बाहर निकाल कर दम लूंगा, कहकर वह अपने उन रेशमी बालों को एक बार फिर नोचने लगा जिन को प्राकृतिक ने उसके सर पर बड़ी सुंदरता वह सजगता से सजाए थे,जो पहली नज़र में देखने से लगते थे कि भिन्न-भिन्न प्रकार के फूलों को मिलाकर एक गुलदस्ता बनाया गया है और फिर उसके सर पर सजा दिया गया हो। यह सजावट बड़ी आकृर्षित व मनमोहक थी पर उसके मन में यह बात घर कर गई थी कि उसके सुंदर बालों में कुछ गड़बड़ अवश्य है। इस गड़बड़ को ही वह विनाशकारी जुएं कह रहा था और डरा हुआ था।
लोगों ने उसको चीखते चिल्लाते देखा। स्वयं को चोट पहुंचाते देखा,परंतु कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखाई, किसी प्रकार की कोई दया भी उसके प्रति नहीं दिखाई। एक पागल के लिए लोगों में सहानुभूति या दया कम ही होती है, तभी कहानी मैं एक नया मोड़ आया और लोगों की भीड़ में से कुछ महिलाएं उसकी और बढ़ीं और बगैर किसी डर के उसको घेरकर बैठ गयीं। उन में से बुजुर्ग महिलाओं ने पागल के सर को अपनी आगोश में रखा और उसकी जुंए तलाश करने में व्यस्त हो गयीं। कुछ क्षण बाद पागल एक मासूम बच्चे की तरह इन शक्तिशाली महिलाओं की गोद में शांत हो गया पर अचानक दूर खड़ी एक पत्रकार जो इस दृश्य को अपने कैमरे में कैद कर रही थी वह बेहोश होकर जमीन पर गिर गई। इस रहस्य को मैं आज तक नहीं समझ सका कि बुजुर्ग महिलाओं द्वारा एक पागल को शांत करने पर किसी चैनल की  पत्रकार क्यों ढेर हो गई?
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शाहिद हसन शाहिद
70093-16991
The person standing on the slope of age could not be said with confidence that he is indeed insane or a common man scared of future threats. Even seeing the costumes, he could not be called crazy, while he was talking like crazy.
 He was standing on the roadside screaming and screaming, "People listen, lice are in my hair." Then he says no, he is not a lice, he is not an intruder, then he immediately says - he is not an intruder but he is a terrorist. We all have to fight terrorism. Saying this, he started shouting slogans,
 Terrorism Zindabad, Terrorism Murdabad. Then something stopped and said, I have to break the head of terrorism. Saying this, he started scratching his hair. Then people showed two hairs stuck in the fingers of their hands and started saying - Look, look…! The intruders broke my hair. They are bloodthirsty. Then, while celebrating the broken hair, I started crying loudly and crying - one by one my hair is being broken. Then in an instant, he started saying happy - ha ha ha ...! I will be bald soon, then it will be great fun,
 I would play tabla on my head, then started asking the crowd of people - will you see the fun, will you listen to the tabla? It was his habit to say his words three times. He used to understand by saying 3 times that people have said that we are watching or we will see or we will enjoy.
 He had been doing this kind of play for a long time. People standing around him were enjoying. People loved her jumla. Some news channels were also attracted to him, he said while warning- Intruders….! Listen, your intrigues will not succeed. Will scrape off all the hairs of the head but will not let you rule your head. I would pull out every single intruder, saying that he again scratched his silky hair, which the natural had decorated with great beauty on his head, which at first glance seemed to be different A bouquet of flowers has been made and then decorated on its head. This decoration was very attractive and adorable but it was said in her mind that there is something wrong with her beautiful hair. He was calling this mess a destructive lice and was scared.
 People saw him screaming. He was seen hurting himself, but showed no reaction, no kindness towards him. People have little sympathy or compassion for a lunatic, then a new twist came in the story and some of the women in the crowd of people grew more and sat around him without any fear. The elderly women among them kept the madman's head in their arms and got busy searching for his lice. Moments later, like an innocent child, the insane woman calmed down in the lap of these powerful women, but suddenly a journalist standing far away capturing the scene with her camera fell unconscious to the ground. I could not understand this mystery till today why journalists piled up like a TRP of a channel when an elderly woman pacified a lunatic?
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 you want your literary lovers to read them, then forward them. Write your response in the Blockspot comment box. With thanks
 Shahid hasan shahid
 70093-16991