मैं खुश हूं बल्कि बहुत ज्यादा खुश हूं ।
चार दिन अस्पताल में गुजार कर 'जान बची और लाखों पाए' कहावत अनुसार स्वस्थ लाभ लेकर वापस जीवित घर जो आ गया हूं।
मेरे स्वस्थ होने पर मेरा डॉक्टर भी खुश है। उसके कहने के अनुसार उसने 25000 रुपए की मामूली राशि लेकर मुझे नया जीवन जो प्रदान किया है, वह जीवन जो थोड़ी देर से क्लीनिक पहुंचने पर मेरा नहीं रहता और कुछ भी बुरा हो सकता था, जो समय पर क्लीनिक पहुंचने पर टल गया।
मेरे दोस्त वा रिश्तेदार भी मेरे स्वस्थ होने पर खुश हैं, उनकी खुशी का कारण है कि उन्होंने सोशल डिस्टेंसिंग का बहाना लेकर टेलीफोन द्वारा मेरा हाल पूछ कर मेरे प्रति अपनी सद्भावनाएं समय पर पहुंचा दी थीं। जिस कारण वे अपनी आत्मीयता दिखाने में सफल रहे, नहीं तो सोचिए अगर मेरे साथ भगवान ना करे कुछ बुरा हो जाता और उनको अपनी व्यस्त जीवन में से कुछ समय निकालकर मेरे उस बुरे में शामिल होना पड़ जाता तो उनके लिए कितनी मुश्किल हो जाती।
मेरी बैगम भी खुश हैं, क्योंकि उन्होंने एक बार फिर मेरे प्रति अपना समर्पण व त्याग से सिद्ध कर दिया है की वह हमेशा की तरह इस बार भी वफादारी और प्रेम की कसोटी पर खरा सोना साबित हुई हैं, जबकि इसकी कीमत उनको अपने गले की वह सोने की चैन बेचकर अदा करना पड़ी है, जो मैंने उनको निकाह के समय मुंह दिखाई पर दिखी थी।
मेरे जीवित होने पर मेरे बच्चे भी बहुत खुश हैं। वह अपनी खुशी में खुदा का शुक्र अदा करना नहीं भूल रहे हैं, जिसने उनकी इज्जत बचा ली वह सोचते हैं कि अगर पापा के साथ कुछ बुरा हो जाता तो अस्पताल के बिल के साथ-साथ कफन, दफन और दूसरी धार्मिक क्रियाओं के अतिरेक इस अवसर पर आने वाले अतिथियों और उनके नाज़ नखरों पर आने वाला लगभग एक लाख का खर्च वह कैसे पूरा कर पाते क्योंकि उनकी मां के पास बेचने के लिए केवल सोने की चैन के अतिरिक्त कुछ और था ही नहीं।
- शाहिद हसन शाहिद
Deep lines ��
ReplyDeleteGreat story showing reality 👍
ReplyDeletelajwaab
DeleteWell written with deep message.👌🏻
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