Monday, September 7, 2020

दीवार पर लिखी गालियां

लेखक- शाहिद हसन शाहिद----

मैं उस समय अचंभित रह गया जब मैंने अपने घर की कच्ची दीवार पर पवित्र रंगों से लिखी दखीं अश्लील व नस्ली गालियां।
मैंने अपने बच्चों को बुलाया और उनसे पूछा-क्या तुम इन गालियों का अर्थ जानते हो ?
वह बोले-हां------हम अर्थ जानते हैं।
मैंने पूछा- क्या जानते हो ?
उन्होंने कहा- यही की हमारी औकात इन गालियों से अधिक नहीं है।
बच्चों का उत्तर सुनकर मैंने अपने पड़ोसी से पूछा- क्या तुम इन गालियों का अर्थ समझते हो, पहले तो वह कुछ नहीं बोला, फिर कुछ सोच कर कहने लगा- हां-------मैं इतना आवश्य समझता हूं की अगर हम उस पेंटर को तलाश कर लें जिसने यह गालियां लिखी हैं तो हमें इन गालियों का अर्थ अवश्य पता चल जाएगा।
मैंने फिर दूसरे पड़ोसी से पूछा- तुम्हारा क्या विचार है इन गालियों के बारे में ?
वह बोला-इन गालियों के बारे में मेरा कोई विशेष विचार तो नहीं है,पर मैं इतना अवश्य कहना चाहूंगा कि गालियां लिखने के लिए जिस पवित्र रंग का प्रयोग किया गया है, वह उचित नहीं है। इस पवित्र रंग के अतिरिक्त कोई दूसरा रंग होना चाहिए था तो उचित रहता।
मैंने तीसरे पड़ोसी से पूछा- तुम्हारी क्या राय है इन गालियों के संदर्भ में ?
वह बोला- शब्दों की कठोरता में भविष्य को तांडव करते देख रहा हूं। भगवान कृपा करे हम सब पर।
फिर मैंने चौथे पड़ोसी से कहा- महोदय, आप भी कुछ प्रतिक्रिया या विचार प्रकट कीजिए मेरे घर की दीवार पर लिखी इन अश्लील गालियों पर।
वह बोल-क्या बोलूं ? मैं तो केवल इतना जानता हूं कि गालियां हमारे समाज व हमारे चरित्र का दर्पण होती हैं, जब हम गालियों द्वारा अपनी भावनाएं प्रकट करते हैं तो सुनने वाले को वह अवश्य गालियां लगती हैं जबकि वास्तव में ऐसा होता नहीं है वह गालियां देने वाले के भीतर का भय या डर होता है जो गालियों के रूप में दूसरे पक्ष को डराने का कार्य करता है। इस समय वही डर तुमको डरा रहा है।
इस प्रकार मैंने समाज के हर व्यक्ति को अपने घर की कच्ची दीवार पर पवित्र रंगों से लिखी गालियों पर उनकी प्रतिक्रियाएं जानने की कोशिश की और सब ने ही अपने मतानुसार इन गालियों पर अपनी अपनी टिप्पणी दीं, पर अफसोस किसी एक ने भी हाथ में कपड़ा पकड़कर इन गालियों को दीवार से साफ करने की पहल नहीं की।
समाज की बहानेबाजी,नपुंसकत और संवेदनहीनता से दुखी होकर मेरे अंदर का अमानुष गुस्से से पागल हो उठा और उसने अपने इसी पागलपन से ग्रस्त होकर अपने मासूम बच्चों की बाहें मजबूती के साथ पकड़ीं और बंद कराया उनको उसी मकान में जिसकी कच्ची दीवार पर पवित्र रंगों से लिखी गयीं थीं अश्लील व नसली गालियां।
 साथ ही साथ बच्चों को यह चेतावनी भी दे आया की खबरदार- जो तुमने अपना मुंह और घर का दरवाजा खोला। तुम्हें अपना मुंह और घर का दरवाजा उस समय तक बंद रखना है जब तक तुम जवान होकर गालियां लिखने वालों को इन गालियों का अर्थ व परिणाम समझाने के योग्य ना हो जाओ।
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अपने विचार नीचे दिए गए comment box मैं अवश्य लिखें। धन्यवाद सहित
शाहिद हसन शाहिद

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