Saturday, September 5, 2020

पागल इंसान


एक महिला का निर्वस्त्र शव सुबह से सड़क  किनारे पड़ा लोगों की उपेक्षा का शिकार हो रहा था। आते जाते लोग उसको तिरछी निगाहों से देखते और सुबह-सुबह मूड खराब ना हो जाए इस डर से आगे बढ़ जाते। कुछ लोग रुके भी परंतु काम की जल्दी में मुंह घुमा कर वह भी आगे बढ़ गए। 
आबादी से भरे इस मोहल्ले में इस अपमानित होते शव की परवाह करने वाला दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था, जो महिला पर चादर डाल कर उसकी गरिमा का सम्मान करे।
समाज की अपंगता व उपेक्षा का शिकार यह शव लोगों को शायद इस कारण भी आकर्षित नहीं कर पा रहा था, क्योंकि उसका शरीर जवान ना होकर बूढ़ा था।
सड़क से गुजरते एक पागल की नजर उस शव पर पड़ी। पागल ने भयभीत नजरों से शव को देखा, फिर समाज के उन मुर्दा दिल लोगों की और देखा जो प्रतिक्रियाएं देने मैं व्यस्त थे। पागल ने एक शब्द उन से नहीं कहा। 
उसने विलंब किए बगैर अपनी फटी धोती उतारी और उस अपमानित होते नग्न मृत शरीर पर डाल कर चुपचाप आगे बढ़ गया।
पागल की धोती उतरते ही एक नई समस्या उत्पन्न हो गई। अब एक वयस्क व्यक्ति सभ्य समाज में नग्न अवस्था में बड़ी बेशर्मी के साथ घूमने के लिए तैयार था। जिसे देखकर स्वाभिमानी लोगों की सोई स्वाभिमानी ता जाग उठी और उनको लगा जैसे पागल ने अपनी धोती ना उतारकर पूरे समाज की धोती उतार दी हो। इस पीड़ा को महसूस करते हुए वह जोर-जोर से चीखने और चिल्लाने लगे-
अरे यह क्या हो रहा है? एक पागल जवान व्यक्ति हमारे मोहल्ले में इस प्रकार नंगा घूम रहा है, बेशर्मी की भी कोई सीमा होती है। पकड़ो इसको, रोको इस पागल को,यह पागल इस अवस्था में हमारे मोहल्लों में ना जाने पाए जहां हमारी बहू बेटियां रहती हैं।
समाज की ललकार के बाद लोगों की सोई अंतर्रात्मा जाग उठी उनको लगा कि पागल को अगर तुरंत ना रोका गया तो अनर्थ हो जाएगा इस कारण उन सब ने अपना आवश्यक काम -धंधा छोड़ा और उस पागल को पकड़ने के लिए दौड़ पड़े।
 थोड़ी सी मेहनत के बाद सभ्य समाज के मूल्यों से बेपरवाह वह पागल लोगों की पकड़ में आ गया। पागल के पकड़ में आते ही पहले तो इन लोगों ने उसकी इस अपराध के लिए जमकर पिटाई की कि वह शरीफ लोगों के मोहल्ले में बेशर्मी के साथ निर्वस्त्र घूम रहा था। फिर एक फटा कपड़ा देकर उसकी नंगता पर पर्दा डाल दिया।
 इस पूरे प्रकरण के बाद भी उस बुजुर्ग महिला का निर्वस्त्र शव वहीं पड़ा स्वाभिमानी  समाज के जागने की प्रतीक्षा करता रहा।
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धन्यवाद सहित
शाहिद हसन शाहिद

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