आयु की ढलान पर खड़े उस व्यक्ति के बारे में विश्वास के साथ नहीं कहा जा सकता था कि वह वास्तव में पागल है या भविष्य के भावी खतरों से डरा हुआ एक आम व्यक्ति है। वेशभूषा देखकर भी उसको पागल नहीं कहा जा सकता था, जबकि बातें वह पागलों जैसे ही कर रहा था। सड़क किनारे खड़े होकर वह चीख-चीख कर कह रहा था- लोगों सुनों, मेरे बालों में जुंए रहती हैं। फिर कहता-नहीं वे जुंए नहीं हैं,घुसपैठिए हैं, फिर तुरंत ही कहता- घुसपैठिए भी नहीं हैं, वे आतंकी हैं। आतंकवाद से हम सबको लड़ना होगा। इतना कहकर वह नारे लगाने लगा,आतंकवाद जिंदाबाद,
आतंकवाद मुर्दाबाद। फिर कुछ रुक कर कहने लगा,आतंकवाद का मुझे सर तोड़ना है। यह कहते हुए उसने अपने सर के बाल नोचने आरंभ कर दिए। फिर लोगों को अपने हाथों की उंगलियों में फंसे दो चार बाल दिखा कर कहने लगा- देखो-देखो....! घुसपैठियों ने मेरे बाल तोड़ दिए। वे जालिम हैं। फिर टूटे बालों का दुःख मनाते हुए जोर-जोर से चीख-चीख कर रोते हुए कहने लगा- एक-एक करके मेरे बाल तोड़े जा रहे हैं। फिर एक ही पल में खुश होकर कहने लगा- हा हा हा...! मैं जल्द ही गंजा हो जाऊंगा, तब बड़ा मज़ा आएगा, अपने सर पर तबला बजाऊंगा, फिर लोगों की भीड़ से पूछने लगा- तुम मज़ा देखोगे, तबला सुनोगे ? अपनी हर बात को तीन बार कहना उसकी आदत थी। 3 बार कह कर वह समझ लेता था कि लोगों ने कह दिया है कि हम देख रहे हैं या हम देखेंगे या हम मज़ा लेंगे।
इस प्रकार की जुमले बाजी वह बहुत समय से कर रहा था। उसके चारों तरफ खड़े लोग मजा ले रहे थे। लोगों को उसके जुमले बहुत पसंद थे। कुछ न्यूज़ चैनल भी उस पर फिदा थे, वह अपनी टीआरपी बढ़ाने के लिए उसको कवर करते रहते थे। एक कैमरे की ओर मुंह करके पागल चीखते हुए बोला- घुसपैठियों....! सुन लो, तुम्हारी साजिशें सफल नहीं होने दूंगा। सर के सारे बाल नोच दूंगा पर तुमको अपने सर पर राज नहीं करने दूंगा। एक-एक घुसपैठिए को बाहर निकाल कर दम लूंगा, कहकर वह अपने उन रेशमी बालों को एक बार फिर नोचने लगा जिन को प्राकृतिक ने उसके सर पर बड़ी सुंदरता वह सजगता से सजाए थे,जो पहली नज़र में देखने से लगते थे कि भिन्न-भिन्न प्रकार के फूलों को मिलाकर एक गुलदस्ता बनाया गया है और फिर उसके सर पर सजा दिया गया हो। यह सजावट बड़ी आकृर्षित व मनमोहक थी पर उसके मन में यह बात घर कर गई थी कि उसके सुंदर बालों में कुछ गड़बड़ अवश्य है। इस गड़बड़ को ही वह विनाशकारी जुएं कह रहा था और डरा हुआ था।
लोगों ने उसको चीखते चिल्लाते देखा। स्वयं को चोट पहुंचाते देखा,परंतु कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखाई, किसी प्रकार की कोई दया भी उसके प्रति नहीं दिखाई। एक पागल के लिए लोगों में सहानुभूति या दया कम ही होती है, तभी कहानी मैं एक नया मोड़ आया और लोगों की भीड़ में से कुछ महिलाएं उसकी और बढ़ीं और बगैर किसी डर के उसको घेरकर बैठ गयीं। उन में से बुजुर्ग महिलाओं ने पागल के सर को अपनी आगोश में रखा और उसकी जुंए तलाश करने में व्यस्त हो गयीं। कुछ क्षण बाद पागल एक मासूम बच्चे की तरह इन शक्तिशाली महिलाओं की गोद में शांत हो गया पर अचानक दूर खड़ी एक पत्रकार जो इस दृश्य को अपने कैमरे में कैद कर रही थी वह बेहोश होकर जमीन पर गिर गई। इस रहस्य को मैं आज तक नहीं समझ सका कि बुजुर्ग महिलाओं द्वारा एक पागल को शांत करने पर किसी चैनल की पत्रकार क्यों ढेर हो गई?
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शाहिद हसन शाहिद
70093-16991
The person standing on the slope of age could not be said with confidence that he is indeed insane or a common man scared of future threats. Even seeing the costumes, he could not be called crazy, while he was talking like crazy.
He was standing on the roadside screaming and screaming, "People listen, lice are in my hair." Then he says no, he is not a lice, he is not an intruder, then he immediately says - he is not an intruder but he is a terrorist. We all have to fight terrorism. Saying this, he started shouting slogans,
Terrorism Zindabad, Terrorism Murdabad. Then something stopped and said, I have to break the head of terrorism. Saying this, he started scratching his hair. Then people showed two hairs stuck in the fingers of their hands and started saying - Look, look…! The intruders broke my hair. They are bloodthirsty. Then, while celebrating the broken hair, I started crying loudly and crying - one by one my hair is being broken. Then in an instant, he started saying happy - ha ha ha ...! I will be bald soon, then it will be great fun,
I would play tabla on my head, then started asking the crowd of people - will you see the fun, will you listen to the tabla? It was his habit to say his words three times. He used to understand by saying 3 times that people have said that we are watching or we will see or we will enjoy.
He had been doing this kind of play for a long time. People standing around him were enjoying. People loved her jumla. Some news channels were also attracted to him, he said while warning- Intruders….! Listen, your intrigues will not succeed. Will scrape off all the hairs of the head but will not let you rule your head. I would pull out every single intruder, saying that he again scratched his silky hair, which the natural had decorated with great beauty on his head, which at first glance seemed to be different A bouquet of flowers has been made and then decorated on its head. This decoration was very attractive and adorable but it was said in her mind that there is something wrong with her beautiful hair. He was calling this mess a destructive lice and was scared.
People saw him screaming. He was seen hurting himself, but showed no reaction, no kindness towards him. People have little sympathy or compassion for a lunatic, then a new twist came in the story and some of the women in the crowd of people grew more and sat around him without any fear. The elderly women among them kept the madman's head in their arms and got busy searching for his lice. Moments later, like an innocent child, the insane woman calmed down in the lap of these powerful women, but suddenly a journalist standing far away capturing the scene with her camera fell unconscious to the ground. I could not understand this mystery till today why journalists piled up like a TRP of a channel when an elderly woman pacified a lunatic?
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Shahid hasan shahid
70093-16991
Great.
ReplyDeleteInteresting read 👍
ReplyDeleteSuperb
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