काला कुर्ता,गले में भगवा गमछा और माथे पर लाल तिलक लगाए जब वह सड़क पर इतराते हुए निकलता तो देखने वाले दंग रह जाते। लोगों को महसूस होता कि सड़क पर कोई आंदोलनन जीवी नहीं बल्कि पूरा आंदोलन दौड़ा चला आ रहा है।
जीव जैसा दिखने वाला यह व्यक्ति था बहुत ही चुस्त व चालाक। हाथ नचा-नचा कर बात करने और जुमले वाज़ी का वह ऐसा हुनर जानता था कि अच्छे-अच्छे मदारी उसके सामने पानी भरते नज़र आते। उसके चाहने वालों का एक बड़ा ग्रुप था जो उसको पप्पू कह कर बुलाता था, जिसका वह कभी बुरा नहीं मानता था।
पप्पू ने "अफवाह जीवी" नाम का एक क्लब बना रखा था। यह अपनी तरह का ऐसा क्ल्ब था जो नए और पुराने चुटकुलों को नए अर्थ और नए जुमलों से सजाकर मनोरंजित बाजार में उतार कर लोगों को मुस्कुराने के लिए मजबूर करता था।
इस अनोखी पैदावारी यूनिट का पप्पू ऐसा चेयरमैन था जो लोगों की फरमाइश पर अपनी फेक्ट्री का तैयार चुटकुला उसी समय सुनाकर आगे बढ़ जाता। यही उसकी दिनचर्या थी। आज भी उसने लोगों की फरमाइश पर एक चुटकुला सुनाया जो कुछ इस प्रकार था....
एक बुद्धिजीवी बहुत बड़ा पत्नी प्रेमी था जो हर समय पत्नी की सेवा में लगा रहता और उसको मेरी सरकार, मेरी सरकार कहकर खुश रखने की कोशिश करता रहता था। जबकि पत्नी उसको आम जनता की तरह बुध्दूजीवी से अधिक भाव नहीं देती थी। पत्नी का चरित्र बड़ा विवादित था। वह अपने बुध्दू पति से अधिक अपने घनिष्ठ मित्रों को तवज्जो देती थी। लोगों की निगाह में वह एक दिशाहीन पत्नी थी,जो अपने कुछ मित्रों के साथ बने संबंधों को लेकर काफी बदनाम थी। पत्नी के तर्क अनुसार यह उसकी नवीनतम जीवन शैली का एक ऐसा पक्ष था जिस पर किसी को कोई एतराज़ नहीं होना चाहिए।
पत्नी के इस रवैये और लोगों के तानों से वह व्यक्ति काफी दुखी और डिप्रेश रहता था। उसने अपनी पत्नी को बार-बार समझाया कि तुमने अपने लिए जो रास्ता चुना है वे ठीक नहीं है। दूसरे पुरुषों से इस प्रकार खुलेआम संबंधों रखना हमारा पारंपरिक समाज स्वीकार नहीं करता है। कुछ पर्दा रहना चाहिए। खुलेपन की इस अंधी दौड़ से तुुम बाहर आओ और अपनी इस खराब आदत को छोड़ कर एक संस्कारी पत्नी की तरह मेरे दिल की सरकार और मेरा स्वाभिमान बनकर रहो।
दिशाहीन पत्नी पर इन बातों का कोई असर नहीं था और वह अपनी हरकतें छोड़ने को तैयार नहीं थी। उस व्यक्ति के घनिष्ठ मित्र उसकी इस परिवारिक समस्या को जानते थे परन्तु वे इस संबंध में उसकी कोई सहायता नहीं कर पाते क्योंकि वे जानते थे कि यह उसका आंतरिक घरेलू मामला है।
एक दिन अचानक वह व्यक्ती खुश-खुश अपने मित्रों के पास पहुंचा।
मित्रों ने जब उसका खुशी से हो रहा लाल चेहरा देखा तो वे समझ गए कि कोई अच्छी खबर है, जो वह उनको सुनाने वाला है।
मित्रों ने उत्सुकता दिखाते हुए उससे कई सवाल एक साथ पूछ डाले- उन्होंने पूछा- क्या भाभी ने तुम्हारी नसिहत मान ली है, क्या उन्होंने अपने चरित्र को ठीक करने का निर्णय ले लिया है, क्या उन्होंने अपने आवारा मित्रों को छोड़कर तुम्हारे साथ एक वफादार पत्नी की तरह रहना स्वीकार कर लिया है?
मित्रों के सवाल सुनकर उस व्यक्ति ने एक गहरी सांस ली और कहा-ऐसा कुछ नहीं हुआ है। सब कुछ पहले जैसा ही है वह अपनी ज़िद पर अभी भी कायम है।
मित्रों ने पूछा तो फिर तुम्हारी खुशी का राज़ क्या है?
उसने गंभीर होते हुए कहा-मैंने खुश रहने का आसान रास्ता तलाश कर लिया है।
मित्रों ने पूछा- वह रास्ता क्या है?
उसने कहा- मैंने अपनी सोच बदल ली है।
मित्रों ने कहा- हम समझे नहीं?
उसने कहा-मेरी बदली हुई सोच अब यह कहती है कि मेरी पत्नी जिसको मैं प्यार से "सरकार" कहता हूं वह समाजिक तौर पर धर्म पत्नी तो मेरी है परंतु फील गुड उससे आजतक उसके धनवान मित्र लेते रहे हैं। अब मेरी नई सोच के अनुसार आज से मैं यह सोचूंगा कि वह पत्नी तो उन धनवान लोगों की ही है परंतु जब भी मुझे अवसर मिलेगा मैं "फील गुड" का मज़ा उठाउंगा।
इतना कहकर पप्पू आगे बढ़ गया। लोग हंसते रहे किसी ने यह नहीं सोचा कि पप्पू ने जवाहर लाल नेहरू के ज़माने के पुराने चुटकुले को किस सुन्दरता के साथ अपनी जुमले बाज़ी की महारत से आज का सच बना दिया था।
*****
मेरी हास्य-व्यंग्य रचनाएं पसंद आ रही हों और आप चाहते हैं की आपके साहित्य प्रेमी मित्र भी
इनको पढ़ें तो उनको share करें
comments box में अपनी प्रतिक्रिया
अवश्य लिखें। धन्यवाद सहित
शाहिद हसन शाहिद
+91 70093-16992
Copyright reserved
Lajwaab
ReplyDeleteLajwaab kahani
ReplyDeleteबहुत उम्दा और मौजूदा हालात पर एक खूबसूरत व्यंग बहुत बहुत बधाई hasan साहब zindabad
ReplyDeleteI read every short stories forwarded, manifested and depicted by Janab Shahid Sb.I presume as if happening(caricature) in front of me. All stories portrait a long trail of social injustice, prevalent malaise, and soothing verbal podocast by the hands of executives but nothing impeccable in real world. I appreciate his dedicated efforts and passion for highlighting such issues on attaining seniority in life. Prof.Dr.SHussain
ReplyDeleteماشاءاللہ واہ واہ کیا انداز ہے, اللہ تعالیٰ اور قلم میی طاقت عطا کرے
ReplyDeleteBeautiful as usual!!!!
ReplyDeleteCarry on
Hopefully people will understand!!!!
शाहिद जी, 25वीं लघु कथा 'अफवाह जीवी' (हास्य व्यंग) के लिए आप को मेरी ओर से हार्दिक बधाई। मैं कोशिश करूंगा कि यह रचना मेरे सब मित्रों तक पहुंच जाए। धन्यवाद
ReplyDeleteNice story 👍
ReplyDeleteGood one
ReplyDeleteBahot khub
ReplyDelete